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ये पढ़ा लिखा तबका ख़ुद बाबा साहब को नहीं पढ़ता है और ज्ञान समाज को देता है। ~ Bal Gangadhar Baghi

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विश्वविद्यालयों में पढ़े लिखे ज्यादतर लोग कहते हैं कि हमारे समाज के लोग बाबा साहब को पढ़े नहीं है इसीलिए अनभिज्ञ हैं, उनसे सवाल कीजिए क्या अपने बाबा साहब की कोई एक किताब पूरी ईमानदारी से पढ़ा है ? तो चुप हो जाते हैं। दरअसल समाज की गलती नहीं है यह पढ़ा लिखा तबका ख़ुद बाबा साहब को नहीं पढ़ता है और ज्ञान समाज को देता है। ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनका काम ही पढ़ना व पढ़ना है लेकिन वह बस दूसरों की आलोचना में मस्त हैं।  बाबा साहब ऐसे ही लोगों को कहते थे कि पढ़ा लिखा व्यक्ति हमें धोखा दे रहा है। लेकिन समस्या कहाँ आ रही है ???? यह तबका समाज में काम करने वालों से बहुत चिढ़ता है क्योंकि वह सोचता है कि समाज में कार्य कर रहे लोग एक दिन विधायक व सांसद बन जायेंगे और यह समय के चक्र में पीछे छूट जायेगा। बाबा साहब का मानना था कि हमारे समाज के बच्चे विश्वविद्यालयों में जायेंगे तो समाज का गहन अध्ययन कर समाज में लौटेंगे और समाज में जनजागृति पैदा करेंगे लेकिन यह तबका सिर्फ नोकरी के लिए पढ़ रहा है। और ताउम्र आपसी गुटबाजी में गुज़ार देता है। कभी असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की लालच में, कभी एसोसिएट प्रोफेसर बनने की

जयपुर। भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी, कांशीराम की संयुक्त प्रदेश स्तरीय समीक्षा मीटिंग जयपुर में की गई।

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जयपुर। आज भीम आर्मी भारत एकता मिशन, राजस्थान व आजाद समाज पार्टी, कांशीराम की संयुक्त प्रदेश स्तरीय मीटिंग डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वेलफेयर सोसाइटी जयपुर में रखी गई। जिसमें आसपा प्रदेश अध्यक्ष अनिल धेनवाल व भीम आर्मी प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान सिंह मेहरा ने सभी पदाधिकारियो से जिलों की समीक्षा बैठक ली व संगठन व पार्टी के विस्तार को लेकर भी गहन चर्चा हुई।  आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनिल धेनवाल ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं पर आए दिन जुल्म व अत्याचार होता है लेकिन सरकार खामोश है। पेट्रोल व बिजली की बढ़ती मंहगाई तथा शोषण व महिला अत्याचार की घटनाओं को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ 7 जुलाई को प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाएगा। आगे बोलते हुए अनिल धेनवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार प्रदेश को चलाने में नाकामयाब रही है। किसान मजदूर से लेकर बड़े कारोबारी तक सब परेशान हैं। पेट्रोल डीजल व अन्य खाने की वस्तुओं के हर रोज बढते दाम ने आम आदमी की कमर तोड़ के रख दी। प्रदेश में कानुन व्यवस्था बिल्कुल खत्म कर दी है, सरकार अपनी मर्जी से कानुन को चला रही है। प्रदेश में बे

समाज में व्याप्त अनेक कुप्रथाएं को बंद करने की शाहूजी महाराज ने पहल की। ~John Jaipal

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लोकराजा:- शाहूजी महाराज सर्वविदित है कि वर्णव्यवस्था का वर्गीकरण ही विशेष वर्ण को समाज में उच्च स्तर बनाये रखने के लिये हुआ था। यह विशेष वर्ण हमेशा सामाजिक क्रांति, प्रगति के विरुद्ध ही रहता था। वह अज्ञानता व अंधविश्वास को बढ़ाकर समाज में अपने पद को हमेशा सर्वोच्च बरकरार रखता था। इक्कीसवीं सदी रचनात्मकता, सृजनात्मक व नवपरिवर्तन की सदी है। आज की भारतवर्ष की परिस्थिति देखकर शासक कौम में जो ईमानदार वर्ग है वह भी कह उठता है हमारी अपनी वर्तमान की अनैतिक दृष्टि, निकम्मापन और दयनीय दशा देखकर हमें अपने वैभवशाली विगत पर भी शंका होने लगती है कि कही वह सब मनगढ़त तो नहीं थी। छत्रपति शाहूजी महाराज के समय महाराष्ट्र में बहुजन आंदोलन गर्त में जा रहा था। लोगों का मानवाधिकार हनन हो रहा था। बहुजन बराबरी के लिये कोई आंदोलन चला नहीं पा रहे थे। लोकराजा शाहूजी महाराज की प्रारंभिक शिक्षा फ्रेजर की देख रेख में हुई थी। अगर फ्रेजर की जगह कोई विशेष वर्ण का उनका शिक्षक होता तो शायद उसे इतिहास में जगह ही नहीं मिलती। बाल्यावस्था में शिक्षा का बड़ा महत्व होता है। शिक्षा का मतलब किताबें पढ़ना नहीं है। बल्कि

सामाजिक असमानता पर सन्त कबीर कहते है कि:-जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान। मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥

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आइये, जुड़िये कबीर से... तथागत बुद्ध के सामाजिक दर्शन से भारत देश में मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई थी। बौद्ध दर्शन के कारण ही भारत दुनियां में शुमार हुआ। एक सत्ता की धर्म व संस्कृति सीढियां होती है। सम्राट अशोक ने जब बौद्ध धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अपनाया था तब भारत की सीमाएं वर्तमान श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तक थी। बौद्ध धर्म की श्रमण संस्कृति ने भारत की ख्याति जापान, चीन, थाईलैंड, वियतनाम, कम्बोडिया, मलेशिया आदि देशों तक फैला दी। कलिंग युद्ध के बाद अशोक में धम्म को अपना दिया। धम्म प्रचारकों के माध्यम से उन्होंने समता,करुणा, मैत्री की धारणा को विस्तृत किया। श्रमण संस्कृति के कारण ही मूलनिवासी समाज को अपने स्वाभिमान को पहचान हुई। वैदिककाल में स्थापित चतुर्वर्णीय व्यवस्था मौर्यकालीन भारत मे कमजोर पड़ गयी थी। जब पुष्यमित्र शुंग द्वारा अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर दी गयी। तब से एक बार फिर सामाजिक असमानता जोरों से पनपने लग गयी। सत्ताधीशों व उनके विलक्षणविदों द्वारा निम्न कौम को जातियों में विभाजित कर उनकी एकता को विभेद कर दिया। इन

भीम आर्मी (भारत एकता मिशन) इकाई, बीकानेर की चौथी वर्षगांठ, आज ही के दिन कार्यकारिणी का गठन हुआ!

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बीकानेर। 20 मई 2017 को भीम आर्मी भारत एकता मिशन, इकाई, बीकानेर का गठन किया गया था जिससे आज 20 मई 2021 को पूरे 4 वर्ष हो गए है! 20 मई 2017 की फ़ोटो..  भीम आर्मी बीकानेर के गठन के दिन ही, बीकानेर टीम दिल्ली के लिए रवाना हो गई. आपको बता दें कि भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद पर यूपी सरकार द्वारा राष्ट्रद्रोह का मुकदमा लगा दिया था, जिसको लेकर 21 मई 2017 को दिल्ली के जंतर मंतर पर विशाल प्रदर्शन रखा गया था. जिसमें लाखों भीम सैनिकों ने भाग लेकर यूपी की बीजेपी सरकार को मुंहतोड़ जवाब दिया था. बीकानेर की तरफ से हमें भी उस विशाल जनसैलाब में शामिल होने का मौका मिला. बहुजन समाज का उभरता सितारा भाई चन्द्र शेखर आजाद जी के कुशल व मजबूत नेतृत्व में आज भीम आर्मी की पहचान भारत ही नहीं, विदेशों मेंं भी अपनी अनूठी पहचान रखती है! आपको पता है कि पिछले महीनों में विश्व की टाइम मैगजीन में 100 उभरते नेताओं में पांच भारतीयों में एकमात्र भारतीय नागरिक भीम आर्मी चीफ का नाम शामिल था! जो बहुजन समाज के लिए गर्व की बात है! जिसको लेकर भीम आर्मी चीफ ने टाइम मैगजीन में शामिल नाम का श्रेय

सामंतवाद के गढ़ में आज़ादी के 73 वर्षों बाद अनुसूचित जाति के दुल्हों की घोड़ी पर चढ़कर निकासी निकाली गई।

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सामंतवाद के गढ़ में 73 वर्षों बाद अनुसूचित जाति का दुल्हा घोड़ी पर चढ़कर गुलामी से हुआ आजाद। आज दिनांक 27-04-2021 को राजस्थान की राजधानी जयपुर के गांव सूरजपुरा, विराटनगर में सामंतवादी सोच के लोगों ने अनुसूचित जाति के युवक से कहा था कि अगर घोड़ी पर बैठे तो गोली मार देंगे, अंत में भीम आर्मी चीफ के आह्वान पर आजादी के 73 वर्षों बाद, पहली बार अनुसूचित जाति के विनोद कुमार व मनोज दोनों दूल्हों की घोडी पर चढ़कर धूमधाम से डीजे के साथ शांतिपूर्वक बिंदोरी निकाली गई। आपको बता दें कि दो भाइयों में एक दूल्हा, विनोद कुमार आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) यूथ विंग का जिला प्रभारी है। यह साहसिक कदम उसी क्रांतिकारी साथी ने उठाया है। इस पूरे घटनाक्रम पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद की पूरी नजर थी, उन्होंने शादी से पहले ही जिला प्रशासन से दूरभाष पर बातचीत करके प्रशासन को अलर्ट कर दिया था और यह भी कहा था कि मैं इस शादी में शामिल रहूंगा। जिला प्रशासन की ओर से चंद्रशेखर आजाद जी को पूरा आश्वासन दिया गया कि इस शादी में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी, अगर किसी असामाजिक तत्वों ने शांति भं

सिस्टम कौन है? सिस्टम को मोदी शब्द का पर्यायवाची बनाकर प्रधानमंत्री को गाली देना बंद कीजिए।

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सिस्टम कौन है? ------------------- सिस्टम को मोदी शब्द का पर्यायवाची बनाकर प्रधानमंत्री को गाली देना बंद कीजिये। व्यक्ति सिस्टम नहीं होता है। नरेंद्र मोदी 2014 में सत्ता में आये थे। उसके बाद से वो लगातार  सिस्टम सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। आइये देखते हैं पिछले सात साल में मोदीजी को सिस्टम बदलने में कितना संघर्ष करना पड़ा है और इसके नतीजे हुए हैं।  1.  मोदीजी ने प्रधानमंत्री कार्यालय में कदम रखते ही यह महसूस किया कि  सिस्टम तभी काम करेगा जब इससे नेहरू की छाप खुरच-खुरच कर मिटाई जाएगी। नेहरू की बनाई गई एक संस्था थी—योजना आयोग। मोदीजी ने कहा- इसका नाम बदल दो।  तो योजना आयोग बन गया नीति आयोग। फुल फॉर्म-- National Institution for Transforming India. न्यू इंडिया बनाने के लिए मोदीजी जिन धुरंधर को लेकर आये उनका नाम था अरविंद पनगढ़िया।  साल 2016 में मोदीजी ने अपना पहला मास्टर स्ट्रोक खेला और वो था—नोटबंदी। नीति आयोग के प्रमुख के तौर पर अरविंद पनगढ़िया का नाम लोगों को इसलिए याद होगा क्योंकि उन्होंने नोटबंदी के दौरान कैशलेस ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए एक इनामी प्रतियोगिता शुरू करने