जीवन में क्रांति इसी पल घट सकती है, बदलाव इसी क्षण हो सकता है, दुख अभी दूर हो सकते हैं. बस, अपनी क्षमता व शक्ति पर श्रद्धा चाहिए...
जीवन में क्रांति इसी पल घट सकती है, बदलाव इसी क्षण हो सकता है, दुख अभी दूर हो सकते हैं. बस, अपनी क्षमता व शक्ति पर श्रद्धा चाहिए... कौसल नरेश प्रसन्नजीत के पास बद्धरेक नाम का एक महाबलवान हाथी था. उसके बल और पराक्रम की कहानियां दूर-दूर तक फैली थी, लोग कहते थे कि युद्ध में उस जैसा कुशल हाथी कभी नहीं देखा. बड़े-बड़े सम्राट उसको खरीदना चाहते थे. उसकी सिंघाड़ ऐसी थी कि दुश्मनों के दिल बैठ जाते थे.उसने अपने मालिक कौसल नरेश की बहुत सेवा की थी. कई युद्धों में नरेश को जिताया था. हाथी बुढा हुआ. एक दिन तालाब में नहाते समय कीचड़ में फंस गया. बुढ़ापे ने इतना कमजोर कर दिया कि कीचड़ से अपने को निकाल नहीं पाया. बहुत कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहा. राजा के सेवकों ने भी बहुत कोशिश की पर सब असफल रहे. प्रसिद्ध हाथी की ऐसी दुर्दशा देख सभी दुखी हुए. तालाब पर भीड़ इकट्ठी हो गई. आखिर हाथी पूरी राजधानी का चहेता था, गांव भर में उसके प्रेमी थे. बालक और बुजुर्ग सभी उसे चाहते थे. राजा ने कई महावत भेजें लेकिन सभी हार गये. कोई उपाय ही नहीं दिखाई दे रहा था. तब राजा खुद गया वह भी अपने प्रिय सेवक को इस दशा में देख बहुत