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ये पढ़ा लिखा तबका ख़ुद बाबा साहब को नहीं पढ़ता है और ज्ञान समाज को देता है। ~ Bal Gangadhar Baghi

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विश्वविद्यालयों में पढ़े लिखे ज्यादतर लोग कहते हैं कि हमारे समाज के लोग बाबा साहब को पढ़े नहीं है इसीलिए अनभिज्ञ हैं, उनसे सवाल कीजिए क्या अपने बाबा साहब की कोई एक किताब पूरी ईमानदारी से पढ़ा है ? तो चुप हो जाते हैं। दरअसल समाज की गलती नहीं है यह पढ़ा लिखा तबका ख़ुद बाबा साहब को नहीं पढ़ता है और ज्ञान समाज को देता है। ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनका काम ही पढ़ना व पढ़ना है लेकिन वह बस दूसरों की आलोचना में मस्त हैं।  बाबा साहब ऐसे ही लोगों को कहते थे कि पढ़ा लिखा व्यक्ति हमें धोखा दे रहा है। लेकिन समस्या कहाँ आ रही है ???? यह तबका समाज में काम करने वालों से बहुत चिढ़ता है क्योंकि वह सोचता है कि समाज में कार्य कर रहे लोग एक दिन विधायक व सांसद बन जायेंगे और यह समय के चक्र में पीछे छूट जायेगा। बाबा साहब का मानना था कि हमारे समाज के बच्चे विश्वविद्यालयों में जायेंगे तो समाज का गहन अध्ययन कर समाज में लौटेंगे और समाज में जनजागृति पैदा करेंगे लेकिन यह तबका सिर्फ नोकरी के लिए पढ़ रहा है। और ताउम्र आपसी गुटबाजी में गुज़ार देता है। कभी असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की लालच में, कभी एसोसिएट प्रोफेसर बनने की